माता-पिता की संपत्ति में बेटियों को भी उतना ही अधिकार है, जितना कि बेटों को होता है। फिर चाहे बेटी की शादी हो चुकी हो या नहीं। परंतु, अकसर यह देखा जाता है कि जब बेटियाँ संपत्ति में अपने हक की मांग करती हैं, तो उनके भाई उसे देने में हिचकिचाते हैं। मेरी माँ को नाना की संपत्ति में हिस्सा देने से मेरे मामा इनकार कर रहे हैं, हमें क्या करना चाहिए? आज हम पिता की संपत्ति में बेटी के अधिकार और इसी तरह के अन्य प्रश्नों पर चर्चा करेंगे।
![Property Rights: नाना की संपत्ति में मां को कितना हिस्सा मिलेगा, जानें कैसे ले अपना हक 6 Property Rights: नाना की संपत्ति में मां को कितना हिस्सा मिलेगा, जानें कैसे ले अपना हक](https://mcpanchkula.org/wp-content/uploads/2024/02/brother-refusing-property-rights-to-married-sister-what-to-do-1024x768.webp)
प्रश्न- क्या मेरे मामा अपने पिता की संपत्ति में मेरी माँ को इस आधार पर हिस्सा देने से मना कर सकते हैं कि उनकी शादी में खर्च हुआ था, इसलिए वह संपत्ति पर कोई दावा नहीं कर सकती?
उत्तर- यदि आपके नाना का निधन बिना वसीयत लिखे हुए हुआ है, तो आपकी माँ, आपके मामा और नानी सहित उनके सभी क्लास-1 कानूनी वारिस संपत्ति में समान रूप से हिस्सा पाएंगे। आपकी माँ की शादी में हुए खर्च या उपहार से संपत्ति पर उनके अधिकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून 2005 के अनुसार, बेटी को भी अपने पिता की संपत्ति पर उतना ही अधिकार है, जितना बेटे को। इसलिए आपकी माँ अपने पिता की संपत्ति पर दावा कर सकती हैं।
प्रश्न- दो साल पहले कोरोना के बाद मेरी नौकरी चली गई और तब से मुझे दूसरी नौकरी नहीं मिली है। मैं अपने माता-पिता के साथ रहता हूँ, लेकिन अब वे मुझे वित्तीय सहायता देना नहीं चाहते हैं। वे कहते हैं कि मुझे घर से निकल जाना चाहिए। मेरे माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी है और उनकी दो संपत्तियाँ भी हैं, लेकिन वे मुझे इन संपत्तियों में हिस्सा देने से मना कर रहे हैं। मेरा एक बड़ा भाई भी है जो आर्थिक रूप से समर्थ है और अलग रहता है। क्या मैं अपने पिता की स्व-अर्जित संपत्तियों में अपना दावा कर सकता हूँ?
उत्तर- यदि आपके पिता हिंदू हैं और उनकी संपत्तियाँ स्व-अर्जित हैं, यानी उन्होंने अपने पैसे से बनाई हैं, तो उनकी स्व-अर्जित संपत्तियों पर आप उनके जीवित रहने तक दावा नहीं कर सकते हैं। वे अपनी संपत्तियों को वसीयत के माध्यम से जिसे चाहें, उसे दे सकते हैं और आप इसमें कुछ नहीं कर सकते। यदि आपके पिता की बिना वसीयत के मौत होती है, तो उनकी संपत्तियों पर आप क्लास-1 कानूनी वारिस के रूप में अपना दावा कर सकते हैं। यदि आपके पिता कोई वसीयत नहीं लिखते हैं और उनका निधन हो जाता है, तो उनकी संपत्तियों पर आप क्लास-1 कानूनी वारिस के रूप में दावा कर सकते हैं। यदि आपके पिता कोई वसीयत नहीं छोड़ते और उनकी मृत्यु हो जाती है, तो इन संपत्तियों पर उनके सभी क्लास-1 कानूनी वारिसों (आप, आपके बड़े भाई, और आपकी मां) को बराबर हिस्सा मिलेगा।
सवाल- मैं और मेरे पति शादी के तीन साल बाद अलग हो रहे हैं। हमारा तलाक का मामला अभी लंबित है। मेरे पति अब दबाव डाल रहे हैं कि शादी के समय मुझे जो भी जेवरात और कैश मिले थे, उन्हें मैं वापस कर दूं। मैं जानना चाहती हूं कि क्या शादी के समय मुझे मिले ये उपहार मेरे स्त्रीधन में शामिल हैं या नहीं? और क्या मुझे तलाक का फैसला होने से पहले इन्हें लौटाना होगा?
जवाब- नहीं, आपको शादी के समय मिले उपहारों को वापस करने की कोई जरूरत नहीं है। शादी के समय आपको आपके माता-पिता, परिवार और दोस्तों से जो भी उपहार मिले थे, वे आपका स्त्रीधन हैं। आपके पति का उन पर कोई दावा नहीं है, और आपको इन्हें लौटाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
शादी के समय जो उपहार और जेवर लड़की को मिलते हैं, वे स्त्रीधन माने जाते हैं। इसके अलावा, लड़के और लड़की दोनों को मिलने वाले कॉमन यूज के सामान जैसे फर्नीचर, टीवी, फ्रिज आदि भी स्त्रीधन के दायरे में आते हैं। इस पर सिर्फ लड़की का ही अधिकार होता है। शादी से जुड़े सभी रीति-रिवाजों और समारोहों के दौरान महिला को मिलने वाला हर प्रकार का उपहार, चाहे वह चल या अचल संपत्ति हो, उस पर महिला का ही अधिकार होता है। इसका मतलब है कि सगाई, गोद भराई, बारात, मुंह दिखाई, या बच्चों के जन्म आदि पर मिलने वाले नेग (उपहार) भी स्त्रीधन के अंतर्गत आते हैं। स्त्रीधन पर महिला का ही अधिकार होता है, भले ही वह धन पति या सास-ससुर के पास हो। अगर किसी सास के पास उनकी बहू का स्त्रीधन है और बिना वसीयत के उनकी मृत्यु हो जाती है, तो उस स्त्रीधन पर बहू का ही कानूनी अधिकार होता है, न कि बेटे या परिवार के किसी अन्य सदस्य का।
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