दिल्ली हाईकोर्ट के सामने एक अनोखा मामला पेश हुआ जहां एक घर से 132 शराब की बोतलें बरामद की गईं। इस घटना ने न केवल पुलिस बल्कि नागरिकों को भी चौंका दिया।
क्या था मामला?
यह मामला 2009 का है, जब दिल्ली पुलिस ने एक घर में छापेमारी कर 132 शराब की बोतलें जब्त की थीं। इनमें 51.8 लीटर व्हिस्की, जिन, रम और वोडका और 55.4 लीटर बीयर शामिल थी। यह घर एक बड़ी ज्वाइंट फैमिली का था, जिसमें 25 साल से ऊपर के 6 से अधिक सदस्य थे।
दिल्ली में शराब रखने की सीमा
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि दिल्ली में 25 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति द्वारा निर्धारित मात्रा में शराब रखना कानूनी है। एक व्यक्ति 9 लीटर व्हिस्की, जिन, रम, वोडका और 18 लीटर बीयर रख सकता है। वाइन और एल्कोपॉप्स के लिए भी 18 लीटर की सीमा है।
भारत में शराब कानून राज्य का विषय है, इसलिए हर राज्य में घर में रखी जा सकने वाली शराब की मात्रा अलग-अलग है। कुछ राज्यों में, जैसे कि गोवा और हिमाचल प्रदेश, घर में रखने की सीमा अपेक्षाकृत अधिक है, जबकि अन्य राज्यों में यह कम है।
यहां कुछ प्रमुख राज्यों में घर में रखी जा सकने वाली शराब की अनुमानित मात्रा दी गई है:
- उत्तर प्रदेश: 6 लीटर (विदेशी शराब)
- दिल्ली: 9 लीटर (विदेशी शराब), 18 लीटर (बीयर)
- महाराष्ट्र: 12 लीटर (विदेशी शराब)
- राजस्थान: 12 लीटर (विदेशी शराब)
- तमिलनाडु: 6 लीटर (विदेशी शराब)
- पंजाब: 2 बोतल (विदेशी शराब)
- हरियाणा: 6 बोतल (देशी शराब), 18 बोतल (विदेशी शराब)
अन्य महत्वपूर्ण बातें
- यह फैसला केवल दिल्ली के लिए लागू है। अन्य राज्यों में घर में रखी जा सकने वाली शराब की मात्रा अलग-अलग हो सकती है।
- 25 साल से कम उम्र के लोगों को घर में शराब रखने की अनुमति नहीं है।
- शराब का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, शराब का सेवन कम मात्रा में और जिम्मेदारी से करना चाहिए।
पुलिस की कार्रवाई और कोर्ट का फैसला
2009 में, दिल्ली पुलिस ने इस घर पर छापेमारी की और आरोप लगाया कि यहां अवैध रूप से शराब रखी गई थी। हालांकि, कोर्ट में मामला पेश होने पर, यह पाया गया कि शराब की मात्रा दिल्ली एक्साइज एक्ट के नियमों के अनुरूप थी और ज्वाइंट फैमिली में सदस्यों की संख्या को देखते हुए यह उल्लंघन नहीं है। इस आधार पर, कोर्ट ने एफआईआर को रद्द कर दिया और आरोपियों पर किसी भी तरह की कार्रवाई करने से मना कर दिया।
इस मामले ने शराब रखने की सीमा और उससे जुड़े कानूनी पहलुओं पर एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दिया। यह नागरिकों के लिए एक जागरूकता का संदेश भी है कि वे अपने अधिकारों और कानूनी सीमाओं को समझें और उनका पालन करें।
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