Daughter’s Right: विवाहित बेटी का पिता की संपत्ति में अधिकार को लेकर कानून जाने

Daughter’s Right In property: भारत में बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबर का अधिकार होता है। यह अधिकार शादी के बाद भी नहीं खत्म होता है। इसका मतलब है कि शादीशुदा बेटी भी पिता की संपत्ति में अपना हिस्सा पाने की हकदार होती है। यह अधिकार हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 द्वारा दिया गया है।

Daughter's Right In Father Property

यह भी पढ़ें :- Ladli Behna Yojana 9th Kist: लाड़ली बहना योजना की 9वीं क़िस्त जारी हुई, घर बैठे पैसे चेक करना जाने

बेटियों के प्रॉपर्टी पर अधिकार बदले

भारतीय समाज में प्रॉपर्टी के बंटवारे को लेकर कानूनों में विशेष बदलाव किये गए हैं। ये बदलाव बेटियों को भी उनके पिता की प्रॉपर्टी के हिस्सेदार बनाते हैं चाहे वे विवाहित हों या अनविवाहित। पिता की संपत्ति में बेटियों को बराबर का हक होता है जिसे समाज में जागरूकता के साथ लागू किया जा रहा है।

अधिनियम को जाने

  • पिता की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति उसकी पत्नी, बेटे, बेटी, और माता-पिता के बीच बराबर बांटी जाती है।
  • अगर पिता की मृत्यु से पहले उसकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी है तो उसकी संपत्ति उसके बेटे, बेटी, और माता-पिता के बीच बराबर बांटी जाती है।
  • अगर पिता की मृत्यु से पहले उसकी पत्नी और सभी बेटों की मृत्यु हो चुकी है तो उसकी संपत्ति उसकी बेटियों और माता-पिता के बीच बराबर बांटी जाती है।

क्या विवाहित बेटी का पिता की सम्पति पर दावा होगा?

एक शादीशुदा बेटी पिता की प्रॉपर्टी में अपने हक का दावा कर सकती है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में वर्ष 2005 में किए गए संशोधन के बाद बेटी को सह-वारिसदार माना गया है। इसका मतलब है कि अब बेटी का पिता की प्रॉपर्टी पर बराबर का अधिकार होता है चाहे वह शादीशुदा हो या अविवाहित।

2005 के संशोधन से पहले बेटी को केवल अविभाजित हिंदू परिवार (HUF) में हिस्सा मिलता था। यह कानून बेटियों के अधिकारों को मजबूत करता है और उन्हें पिता की प्रॉपर्टी में समान अधिकार प्रदान करता है।

विवाहित बेटी ऐसे में पिता की सम्पति पर दावा नहीं करेगी

आपका कहना आंशिक रूप से सही है। यह सच है कि अगर पिता अपनी मृत्यु से पहले अपनी स्वयं अर्जित संपत्ति को बेटे के नाम कर देते हैं, तो बेटी उस संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती।

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार, बेटी को पिता की पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलता है चाहे पिता ने उस संपत्ति को किसी के नाम भी क्यों न कर दिया हो। पैतृक संपत्ति वह संपत्ति होती है जो पिता को अपने पूर्वजों से विरासत में मिली हो। स्वयं अर्जित संपत्ति वह संपत्ति होती है जो पिता ने अपनी कमाई से अर्जित की हो।

इस मामले में यह है कानून

साल 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में किए गए संशोधन ने बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सा पाने का कानूनी अधिकार दिया। यह एक महत्वपूर्ण कदम था जो बेटियों के अधिकारों को मजबूत करता है और उन्हें पिता की संपत्ति में समान अधिकार प्रदान करता है।

कानून आने के बाद अब बेटी को पिता की मृत्यु के बाद उसकी पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलता है चाहे वह शादीशुदा हो या अविवाहित। यह कानून बेटियों के अधिकारों को मजबूत करता है और उन्हें पिता की संपत्ति में समान अधिकार प्रदान करता है।

ध्यान दें कि बेटी को पिता की संपत्ति में अपना हिस्सा पाने के लिए कोई कानूनी कार्यवाही करने की आवश्यकता नहीं है। वह पिता से या पिता की मृत्यु के बाद अन्य उत्तराधिकारियों से अपना हिस्सा मांग सकती है।

टॉपिक: Daughter’s Right In property, Daughter’s Right, विवाहित बेटी के अधिकार

अन्य खबरें भी देखें:

Leave a Comment