चिप्स-चॉकलेट : गोवा में बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (BITS) के दो छात्रों को कॉलेज कैंपस के स्टाल्स से चिप्स, चॉकलेट, सैनिटाइजर, पेन, नोटपैड, मोबाइल फोन स्टैंड, दो डेस्क लैंप, और तीन ब्लूटूथ स्पीकर चुराने का आरोप था। संस्थान ने इस चोरी के लिए उन पर आर्थिक दंड लगाया और एक सेमेस्टर के लिए उनका पंजीकरण रद्द कर दिया था।
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कोर्ट में अपील
इस फैसले के खिलाफ छात्रों ने बॉम्बे हाई कोर्ट की गोवा बेंच में अपील की। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति एमएस सोनक की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। छात्रों ने 50,000 रुपये के जुर्माने और अन्य दंडों के साथ-साथ एक सेमेस्टर के लिए उनके पंजीकरण रद्द करने के कॉलेज के फैसले को चुनौती दी।
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अदालत का निर्णय और सुझाव
अदालत ने संस्थान को सुधारात्मक दृष्टिकोण पर विचार करने का सुझाव दिया। हालांकि, संस्थान के निदेशक ने इसे स्वीकार नहीं किया, जिस पर अदालत ने कहा कि निदेशक की प्रतिक्रिया उन छात्रों के खिलाफ नकारात्मक प्रतीत होती है जो उनके फैसले के खिलाफ अदालत में हस्तक्षेप की मांग करते हैं।
सजा का उद्देश्य और अंतिम फैसला
कोर्ट ने छात्रों को दो महीने तक वृद्धाश्रम में सामुदायिक सेवा करने की अनोखी सजा सुनाई, जिससे उन्हें सुधारने और बेहतर इंसान बनने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही, अदालत ने छात्रों द्वारा भरे गए पूरे जुर्माने को लौटाने का निर्देश दिया, जिसमें 50% रिफंड तुरंत और शेष 50% सामुदायिक सेवा पूरी होने के बाद वापस किया जाएगा।
यह निर्णय न केवल छात्रों के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक सकारात्मक संदेश देता है। यह दर्शाता है कि कानून केवल दंडित करने के लिए नहीं बल्कि सुधारने के लिए भी होता है।
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